Monday, November 16, 2020

35. THE LEFT OUT TIME.

 कल एक बात का एहसास हुआ कि हमारा बचपन बहुत जल्द बित गया। आज बहुत दूर आ गए है हम। 

कल गुवाहाटी से आते वक्त सिर्फ 5 मिनट के लिए अपने ननिहाल पाठशाला गया था। पाठशाला गए हुए मुझको कम से कम 2-3  साल बित गए थे। इसमें सबसे बड़ी आश्चर्य बात मुझे ये लगी कि पाठशाला का नक्शा ही बदल गया और जहां हम महीनों बचपन बिताते थे, जिन गलियों कि रौनक हम बढ़ाते थे आज वही गलिया मुझे अनजानी सी लगने लगी, मैं अपने ननिहाल को ही नहीं पहचान पाया। पहली बार अपने ननिहाल को शहर की चकाचौंद के बिच ढूंढना पड़ा। 

उस दिन ये एहसास हुआ कि क्या सच्च में ये वहीं पाठशाला है जहां छुट्टियों में हम महीनों रहकर आते थे। क्या सच्च में हम इतने बड़े हो गए हम !!!!

उम्रः के साथ साथ जिम्मेदारियां बद रहीं है और उसी के साथ समय बीतता चला जा रहा है और पुरानी यादे बस दिल के संदूक में दबे चले जा रहे है। 




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