एक ही त्यौहार है
पर अलग अलग है नाम ,
कही मनता बिहू तो कोई मनता पोंगल
कही मनता लोहरी तो कही मनता संक्रांत है ।
पर अलग अलग है नाम ,
कही मनता बिहू तो कोई मनता पोंगल
कही मनता लोहरी तो कही मनता संक्रांत है ।
कही खुले आसमान में उड़ता पतंग है,
तो कही जलता भेला-घर है,
कही बनता तिलकुड़ तो कही पीठा है
पर स्वाद जुड़ता दोनों का आकर दिल पर है ।
अलग भाषाएँ है और अलग है संस्कृति
पर मतलब सबका आकर रुकता प्रकृति पर है।
पर मतलब सबका आकर रुकता प्रकृति पर है।