Saturday, April 23, 2022

59. INCREDIBLE APRIL....

महीना ये अप्रैल का,सच्च  में अनोखा है। 
नई उमंगों से, नई उम्मीदों से,
नई चाहतो से, नई तरकीबों  से,
भरा पूरा ये माह अप्रैल का…!
हम में नई ऊर्जा का संचार करता है ।

रीति-रिवाजों से, हर्षोल्लास से
नए साल का स्वागत होता है ।
नव वर्ष पूरे विश्व में मनाया जाता है ।

कहीं पर नवरात्रि का शोर है,
तो कहीं रमादान में दुवाओं का जोर है ।
कहीं नन्हें कदमों में नवदुर्गा है,
तो कहीं नमाजों  से खिल उठता ये संसार है ।
महीना ये अप्रैल का सच्च में अनोखा है ।

कहीं राम नवमी में भगवा लहराता है, 
तो कहीं महावीर जयंती पर सत्य का प्रचार होता है।
कहीं राम नाम से नई ऊर्जा का संचार होता है, 
तो कहीं महावीर स्वामी का परचम लहराता है ।
महीना ये अप्रैल का सच्च में अनोखा है ।

कहीं बैशाकी में झूमता ये देश है
तो कहीं बसंत ऋतु का स्वागत खुशियां लाता है। 
कहीं पर खालसा दिवस मनाया जाता है,
तो कहीं खेतो में नई फसलों को उगाया जाता है। 
महीना ये अप्रैल का सच्च में अनोखा है ।

कहीं हनुमान जयंती में नगाड़ों का शोर है
तो कहीं गुड फ्राइडे में , Jesus को याद किया जाता है ।
कहीं पर बजरंग बली का जय कारा लगता है 
तो कहीं Jesus की क़ुरबानी को याद किया जाता है ।
महीना ये अप्रैल का सच्च में अनोखा है ।

कहीं गुड्डी परवा में गले मिलते लोग है,
तो कहीं पिठा से मुंह मीठा करता ये असम है ।
कहीं हंसता मुस्कुराता ये देश हैं,
तो कहीं जिंदगी के नई पाठ सिखते-सिखाते ये लोग महान है ।
महीना ये अप्रैल का सच्च में अनोखा है ।

महीना तो बस यहीं एक है। 
जोड़ता देश को, जोड़ता दिलों को
और तोड़कर भेदभाव को…!!
भुलाकर पिछले मन-मुटाव को ,
बस खुशियां बिखेरता है ।
सच्च  में ये महीना अप्रैल का बहुत अनोखा है ।








Thursday, April 7, 2022

58. झलक कुछ राम की।

इंतज़ार की घड़ी बस खत्म हुई थी,
अयोध्या में खुशियाँ छाई थी। 
राजा दशरथ क्या खूब नाच रहे थे, 
माँ कौशल्या की गोद भर गई थी। 
धरती-अम्बर गद-गद मुस्का रही थी,
राम का जन्म हुआ है , बधाइयाँ ही बधाइयाँ बट  रही थी। 

बाल रूप में नारायण अवतार लिए थे।  
भविष्यवाणी तो हो ही चुकी थी....!!
प्रेरणा करोड़ो  का ये राम बनेगा,
राजा अयोध्या का बनकर, ये तीनों लोकों पर राज करेगा। 
कष्टओ  का जीवन में अम्बार लगेगा......!!
पर समय के अंत तक राम नाम हमेशा अमर रहेगा। 

साधारण से ये राम, बचपन को जीता था। 
साधारण से ये राम, बाल-क्रिड़ाये  करता था। 
राजकुमार राम नहीं, बस राम बनकर ये मन को मोह लेता था, 
सादगी का परिचय राम हर बार देता था। 

धनुष तोड़कर शर्तों की प्रथा तो तोड़ा था,
एक पति-ब्रत का वचन देकर, सीता का मान बढ़ाया था।  
चौदह वर्ष का बनवास हस्ते हस्ते स्वीकार कर लिए था, 
राज सिंघासन को छोड़ काँटों  पर अपना आशियाना सजाया था। 
अंत समय में अपने पिता को देख भी ना पाया था,
सीता के वियोग में पल पल खून के आँसू रोया था।  
पर हर बार राम आपने शांति और सैयाम  का परिचय दिया था । 

लगाया गले उनको, जिनको  समाज ने धित्कारा था, 
जात-पात की बेड़ियाँ  तोड़ी और इंसानियत से सबको जोड़ा  था।  

विनम्र  होकर समुद्र से रास्ता माँगा, 
रात दिन प्रार्थना की,  पर हलचल ना होने पर, 
विशाल समुद्र को अपना प्रकोप दिखाया था । 
राम-सेतु के निर्माण में, छोटी गिलहरी का भी मान बढ़ाया, 
राम आपने तो इंसानो के साथ पशुओं को भी गले से लगाया था। 

ना शक्ति थी, ना सेना थी, ना कोई रथ था और ना था कोई सेनापति,
ना कोई वीर योद्या था, ना थे  कोई भयंकर अस्त्र-सस्त्र। 
और भीड़ गए आप राम उस रावण से जो त्रिलोक का विजेता  था। 

क्रोध से पहले, विनम्रता  रावण से भी की, 
पर ना मानने पर, छिड़ गई वो भयंकर लड़ाई थी। 
खड़ा किया वानरों को सामने उनके,
जिसकी सेना हर युद्ध-कौशल में बेमिशाल थी। 
आत्म विश्वास से लड़े राम, और तोड़ा घमंड 
जो दशानन  में  भर भर के था  कभी। 

सम्मान रावण को भी दिया था , 
भाई लक्ष्मण को वेदों का ज्ञान दिलवाकर। 
विभीषण को लंका का राजा बनाया, 
सह-सम्मान  सीता को वापस लाया था। 
अपनी मर्यादा का परिचय डंके- की- चोट पर  दिया था। 

लहराया परचम भगवा का आसमान में 
और गूंज उठा भूमण्डल, राम के जयकारों से। 
वचन पूरा कर राम पधारे अयोध्या 
और दीप जले थे आंगणो में। 
राजा बने थे राम, हर मुश्किलों से लड़कर,
सिखाया  संसार को,  अगर जिना  है तो होना होगा निडर। 
 
वर्ष बीत गए,  राम कथा अमर हो गई, 
राम नाम से वैकुण्ठ मिले, ये बात दुनिया को समझ आ गई। 
ये बात दुनिया को समझ आ गई।