दादी क्या कहु मै तुझस,
तू महारानी, रानी सती कहलाती हैं।
झुंझुनू के राजमहल में बिराजकर,
सारे जग में ममता लुटाती है।
क्या कहु मै दादी तुझसे
बिन कहे ही सब समझ जाती है।
अपनी चुनरी की छाव में,
ना जाने कितनो के काम बनाया।
और वही अपने त्रिशूल से
कितनो के घमंड को मिठाया।
क्या कहु में दादी तुझसे
मेरे मन को मुझसे अधिक तू समझती है।
तेरे लाखो भक्तो की भिड़ में,
हाथ जोड़े मै भी खड़ा हूँ।
तेरे दरबार में नतमस्तक मै भी हो रहा हूँ।
पूजा चुनरी की थाल लेकर
तुझे रिझाने मै भी आया हूँ।
क्या कहु में दादी तुझसे
दर्शन देगी, ये पता है मुझे।
नाराज भी तुझी से होता हूँ,
और प्यार भी तुझी से करता हूँ।
हर दिन की सुरुवात बस तेरे नाम से करता हूँ।
तू है ये पता है मुझे,
क्या कहु में दादी तुझसे ,
तू मेरे साथ है, ये विश्वास है मुझे।
ये भावी मावस की बेला आई हैं.
सारे जग में तेरी पताका लहरा रही है।
भक्तों को दर्शन देते देते थक मत जाना दादी
क्युकि उसी भिड़ में खोया हुआ मै भी रहूँगा कहीं।
क्या कहु में दादी तुझसे ,
बिन कहे ही मेरी प्राथना समझ जाती है।
Jai Dadi ki🙏
ReplyDelete