Sunday, February 14, 2021

40. Find the Actual ....."YOU"

कहीं खुद में तो ना खो गया तू...|
कहीं खुद में तो ना खो गया तू ...|

तू  हर सुबह आईने में अपने आप को देखता है, 
पर अपने चेहरे पर शायद गौर नहीं करता कभी । 
सच्च कहु तो तू  बस अपने बालो को ही सवारने में रह जाता है 
तू बस चेहरे पर नकाबों का लेप मलता चला जाता  है, 
उन नकाबों के पीछे तू अपने चेहरे को छिपाता है  
क्या उन नकाबों के बिच तू कहीं  खो तो नहीं जाता हैं ? 

तू हर पल किसी ओर  के लिए जिता है,
तू हर पल किसी ओर  चिंता में डूबा रहता है ,
तू हर पल किसी और खयालो में  खोया रहता है। 
तू हस्ता किसी ओर  के लिए है,
तू रोता भी शायद किसी ओर  के लिए ही है, 
मै अब तक समज ही  न पाया तू अपने लिए जीता कब है |
क्या किसी ओर के लिए तू कहीं खुद में   तो ना खो गया है ?

तेरे चेहरे पर कभी गुस्सा नज़र आता है 
तेरे चेहरे पर कभी मायूसी नज़र आती है 
तो कभी तेरे चेहरे पर उदासी नज़र आती है 
क्या तुझे याद है कब पिछली बार खुले मन से तू हँसा है 
इतने चेहरों में कहीं तेरा असली चेहरा तो खो नहीं गया है । 

हर दिन एक तेरा नया रूप सामने दिखता है,
कभी शराफत का तो कभी बेईमानी का, 
कभी भोलेपन का तो कभी हद से ज्यादा चालाकी का, 
इस भीड़ मै क्या तुझे याद है... 
रूप तेरा असली है कौन सा ?

नकाब इतने सारे चेहरे पर तूने अपने लगाए है
कौन सा उनमे तू है क्या तुझे पता है ??

एक बार ठहर कर सुबह आईने में खुद को  पहचान ले  
शायद कहीं तेरा खोया हुआ चेहरा तुझे याद आ जाये | 
शायद कहीं तेरा खोया हुआ चेहरा तुझे याद आ जाये | 























1 comment: