मैं जैन तो नहीं पर....
जैन धर्म के आगे सर झुकाता हूँ।
अपनी आत्मा तो पवित्र करना
मैं किसी और से नहीं
बस जैन धर्म से सीखता हूँ।
दसलक्षण जैसे पवित्र त्यौहार से
मैं अपने खुद को पहचानना सीखता हूँ।
दुनिया से परेह होकर
मैं अपने खुदकी शक्तियों को पहचानना सीखता हूँ।
मैं जैन तो नहीं पर....
जैन धर्म से मैं बहुत कुछ सीखता हूँ।
किसी को आसानी से माफ़ कर देना और खुद माफ़ी भी मांगना ,
अपने दरिया दिल से चिंताओं के बवंडर को दूर करना,
अपनी सोच को सुधारकर सत्य की राह में चलना
अपनी ज्ञान की शक्ति से खुदकी राह खुद बनाना ,
इन्ही लक्षणों से मैं आगे बढ़ने की प्रेरणा लेता हूँ।
संयम से मैं तप को धारण करता हूँ,
सब मोह-माया से दूर
एक नई सुबह कि सुरुवात मैं करता हूँ।
अपने मन के भावों को त्याग कर
मैं औरो को सम्मान देना सीखता हूँ।
मैं खुदसे खुदको पहचानना सीखता हूँ।
मैं जैन तो नहीं पर...
जैन धर्म से मैं जिना सीखता हूँ।