मैं जैन तो नहीं पर....
जैन धर्म के आगे सर झुकाता हूँ।
अपनी आत्मा तो पवित्र करना
मैं किसी और से नहीं
बस जैन धर्म से सीखता हूँ।
दसलक्षण जैसे पवित्र त्यौहार से
मैं अपने खुद को पहचानना सीखता हूँ।
दुनिया से परेह होकर
मैं अपने खुदकी शक्तियों को पहचानना सीखता हूँ।
मैं जैन तो नहीं पर....
जैन धर्म से मैं बहुत कुछ सीखता हूँ।
किसी को आसानी से माफ़ कर देना और खुद माफ़ी भी मांगना ,
अपने दरिया दिल से चिंताओं के बवंडर को दूर करना,
अपनी सोच को सुधारकर सत्य की राह में चलना
अपनी ज्ञान की शक्ति से खुदकी राह खुद बनाना ,
इन्ही लक्षणों से मैं आगे बढ़ने की प्रेरणा लेता हूँ।
संयम से मैं तप को धारण करता हूँ,
सब मोह-माया से दूर
एक नई सुबह कि सुरुवात मैं करता हूँ।
अपने मन के भावों को त्याग कर
मैं औरो को सम्मान देना सीखता हूँ।
मैं खुदसे खुदको पहचानना सीखता हूँ।
मैं जैन तो नहीं पर...
जैन धर्म से मैं जिना सीखता हूँ।
Great lovely words and meaning
ReplyDeleteThank You Sir
DeleteWowww.. Simple but powerful.. I am not saying this because I am jain but one can learn many things from JAIN DHARAM to simplify there lives.. You did a great work with your words..Jai jinendra..
ReplyDeleteThank you
DeleteVery nice.
ReplyDeleteThank you bhaiya
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ReplyDeleteबहुत सुंदर लिखा है आपने ।दस लक्षण करने वाले लोगों की आत्मा पवित्र होने लगती है और जीवन में बदलाव आना जरूरी होता है मगर यह व्रत बहुत करना बहुत कठिन प्रतीत होता है। जो कि यह एक बहुत ही पवित्र त्यौहार होता है
ReplyDeletevery true....
DeleteGreat,true & PRAISEWORTHY comments and we may learn so many practical things from Dashlakshan Parwa from Jain religion & unique among all festivals if we go deeply.
ReplyDeleteThank You very much
Deletetrue words
ReplyDeleteLovely
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