औरत, नारी, महिला..........!!!!!
तू ना साधारण हैं, साधारण तो बस दुनिया की सोच हैं।
तू ना साधारण हैं, साधारण तो बस दुनिया की सोच हैं।
दबाता था समाज जिसे पग पग पर,
आज वही नारी दुनिया में सबसे आगे हैं।
क्षेत्र, नाम मैं किन किन का लूँ, नाम यहाँ अनेक है।
बताना शुरू करू, तो मेरी ये सांसे भी कम हैं।
शुक्रिया कैसे अदा मैं करू, मेरे तो ये शब्द भी कम हैं।
लड़ना इन्हे हर बार अपने हक़ के लिए पड़ता है,
कभी समाज से, कभी अपने परिवार से, तो कभी खुद से।
पर झुक जाये ! ऐसी कमजोरी नहीं हैं इनमे।
सदी ये 21 वी हैं, बदलाव आज बहुत है !!
पर आज भी कसूर हो या नाहो, सांकेतिक अग्निपरीक्षा से गुजरना पड़ता हैं इन्हे।
सफल ये हर परीक्षा में फिर भी होती हैं,
क्युकि ये अपने इरादों से हार नहीं मानती है।
चार दीवारों की ये बंदिस नहीं,
ये दुनिया से कदम से कदम मिलाती हैं।
घर से निकल एक लम्बी उड़ान ये भर्ती हैं।
उड़ान ऐसी जो दुनिया में इतिहास रचती हैं।
ख्वाइशे इनकी भी बहुत हैं, बस बेड़िया खुलनी चाहिए,
दुनिया में अपना परचम फैलाना ये खुद जानती हैं।
हर औरत दुर्गा हैं,
हर औरत में महालक्मी हैं।
हर औरत रानी लक्ष्मीबाई हैं,
और हर औरत में Mother Marry हैं।
माहौल चाहें जैसा भी हो
ये हर माहौल को अपना मानकर खुश रहने की कोशिश करती हैं।
अपने परिवार की ढाल बनकर ये हरबार सामने उतरती हैं।
गवाह है इतिहास और भविष्य भी रचना करेगा ..!!
नारी साधारण नहीं, साधारण तो बस दुनिया की सोच ही रह जायेगा।
नारी साधारण नहीं, ये भविष्य चीक-चीक कर बोलेगा।
Beautiful poem.. ❤❤👏👏👏👏
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ReplyDeleteI appreciate your words
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