Thursday, January 20, 2022

56. The Accidental Friendship

मिलना हमारा शायद एक इतिफाक था,
पर वो इतिफाक सच्च में भयानक था |
जब भी मिले, बस झगड़े
जब भी बात की, टेढ़े बोले 
पर दिल में दोस्ती, हम पक्की वाली, वो हम बनाने लगे। 

वजाह कोई और है, ये सच्च हैं !
पर आज दोस्ती हमारी, उस  वजाह का मोहताज़ नहीं, 
ये तू अच्छे से जानती हैं। 

तू गुवाहाटी आई 
हम कभी कभी मिलने लागे।
हसी-मज़ाक, शरारत-झगडे, सब होने लागे 
पर दोस्ती दिल में खट्टे-मीठे से गहरे हुए। 

एक काला अँधेरा, एक हादसा आया ज़िन्दगी में तेरे,
जिसने झंझोड़ा रूह को तेरे। 
चुना तूने मुझे, और खोले सारे राज़ अपने मनके ।
एक बार लगा क्यों सुन्नु मैं तुझे,
तकलीफ़ तेरी हैं, क्यों मतलब रखु मैं तुझसे,
बस उस वक्त एक ही ख्याल आया मन में मेरे 
तूने अपनी तकलीफ में याद किया मुझे 
इस वक्त कैसे मैं पिछे हतु 
ऐसे संस्कार नहीं हैं मेरे। 

तू रात दिन रोइ मेरे सामने 
सच्च बोलता हूँ, आंसू तेरे देखकर बहुत तकलीफ होती थी मुझे ।
एक घमंडी पूजा के भीतर एक सेंसिटिव पूजा को देखा मेने,
हर वो कोशिस मेने भी कि, 
तुझे तेरे अतीत से बाहर लाने की ।

एक हादसा और जिसने परखा  तेरे हिम्मत को,
पिता को लड़ना पड़ा, सुयं खुदकी जिंदगी से ।
अकेली तूँ, रही, सही बस अपनी तकलीफो को 
समय ने तुझे भी फटकारा , जिस वजाह से 
अकेली तूने  संभाला घर, व्यापार, त्यौहारों को। 

चिंता तेरी हर पल लगी रहती थी मुझे
क्यूंकि कोई अपनी सी लगने लगी थी तू मुझे ।

तेरे उदास चेहरे के बीच जब देखी झलक हसीं की हलकी सी।
अपने phone में capture किया हूँ
उस ख़ूबसूरत पल को। 

 "एक बात कहुँ - तू रोटी हुई बहुत अच्छी लगती हैं"

हर दिन हम झगड़ते ,
Call पर दोस्ती तोड़ने की खोकली धमकी हर बार देते, 
पर असल सच्च बात-
हम एक दूसरे को कुछ बोलने से पहले ना कभी सोचते ।

Mental, psycho, चमार हर कुछ, ना जाने क्या क्या बोलता हूं,
पर Dhinchak Pooja से भी गई-गुजरी है तू ।

ईश्वर से बस एक ही प्राथना में करता हूं,
बचाए भगवान उस इंसान को 
जिसकी जिंदगी तब्हा करेगी तू।

बस चल बहुत कह लिए 
एक बात आखिर में -
तू हस्ती हैं तब लगती है प्यारी बंदरिया सी 
परेशान मत करना मुझे ये return गिफ्ट देदे मुझे अपनी बर्थडे वाली ।
क्युकि cutiepie नहीं, psychopie ही है तू मेरी।





No comments:

Post a Comment