महीना ये सावन का और झूम रहा ये मन है
बेचैन मन को जो शांत करदे, ये मीठी सी वो हवाएं हैं।
बचपन को फिर जिलू ये एहसास वो बारिश बताती हैं
छपक छपक कर कूदते, भीगते, हस्ते थे, वो मस्त जिंदगी आज याद आती है।
महीना ये सावन का सुकुन दे जाती है।
बेचैन मन को जो शांत करदे, ये मीठी सी वो हवाएं हैं।
बचपन को फिर जिलू ये एहसास वो बारिश बताती हैं
छपक छपक कर कूदते, भीगते, हस्ते थे, वो मस्त जिंदगी आज याद आती है।
महीना ये सावन का सुकुन दे जाती है।
महीना ये सावन का और शुद्ध हो रही ये आत्मा हैं
आश्वस्त से स्वस्थ जीवन, उपवास करना ये सिखाती हैं।
भक्ति की शक्ति से, ज्योतिर्लिंगों की परिक्रमा ये करवाती है
बोल-बम के नारों से, ऊर्जा जो भर देती वो तन - मन हैं।
महीना ये सावन का शिव-गोरा के प्रेम को दर्शाती हैं।
महीना ये सावन का और रिश्तों में मिठास भर रही है
भाई बहन के प्यार को और गहरा वो बना दे रही है।
हलकी फुल्की नोक झोक से रक्षा का प्रतिक समझा रही हैं
पार्वती के हाथों बाँधी डोर नारायण को, वो प्रेम समझा रही हैं।
महीना ये सावन का भाई बहन को और करीब ला रही हैं।
महीना ये सावन का और झूला झूल रहे नन्दलाल है
दही हँडिया फुट रहीं और कृष्णा धुन में झूम रहे लोग है।
नन्द घर आनंद भायो से अपने घर आनंदमय हो रहे हैँ
महीना ये सावन का खुशिया बिखेर रहा है।
महीना ये सावन का और ज्ञान की शक्ति बड़ रही हैं
चौमासा मना रहे संत और लोग अपनी बुद्धि बड़ा रहे है।
सेवा- भक्ति हो रहीं हर ओर, आत्मा पवित्र बना रहे हैं
महीना ये सावन का जीवन सुधार रहे है।
महीना ये सावन का जीवन सुधार रहे है।
Fabulously described..
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