Friday, April 30, 2021

44. रोहित सरदाना को सब्दो की श्रद्धांजलि ||


छोड़ गए रोहित सर आज आप 
बिच मझधार में यु हाथ छोड़कर। 

गड़गड़ाहट  वो बुलंद आवाज़ की 
अब हमेसा के लिए मौन कर। 

कानो ने जब सुना खबर आपके यात्रा की, 
आँखे रोक ना पाई जल के प्रवाह को वहीं ,
दिल ने पूछा, "कहीं ये कोई सपना तो नहीं ?"

शौर इस कदर मचाया आपने,
सोते हुए देश को हर वक्त अपनी आवाज़ से जगाया आपने।  
क्यों आज  खुद सो गए ?
शायद इतना भी परेशान नहीं किया था हमने। 

माना हम तो पराये थे, 
पर दोष  उनका क्या जो दो फूल उगाये आपने अपने आँगन में थे। 
मूर्झा गए है वो चेहरे, 
क्युकि छोड़ गए आज आप उन्हें अकेले। 

क्यों और कैसा प्रचंड नियम है ये प्रकृति का ? 
जब आते है तो खुशिया बिखेरते है,
और जब जाते है तब दिलो को रुलाकर जाते है। 

प्रेरणा है आप लाखों देश वासियों की,
अपनी आवाज़ पर भरोसा करना सिखाया है अपने। 
ना भूल पाएंगे आपको अपनी ज़िन्दगी में कभी। 













































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