Monday, December 28, 2020

38. Request V/s Threat.

As of yesterday, when I went to a government department in connection with a tender, I saw that people from all over the country have come to participate in the tender.

At the same time, a Delhi based company had also come to participate and when that company was in the process to submit the tender, some local suppliers came there with their team and threatened to not submit the  tender to the Delhi company. When the team from Delhi told that according to every clause of the tender document, they are eligible to participate upon the tender even the company has its branch office in their state, yet they were not hearing and were constantly disarmed, constantly threatened.

Now when the matter reached to the company's Directors, by then the company's reputation came on stake. The company refused to accept those local supplier's argument. Directors of the company used their links, reaching the police. State police, media all reached there.

After the arrival of police and media, things started getting worse. Gradually, those local suppliers started to realize that they are adopting the wrong way because after constant intimidation, that company is not changing its intention even after threatening. After discussing with each other for some time, they decided that they should apologize to the company and request not to participate in the tender. All of them once again went to the members of the company with their team and this time they requested but not threatened.

Their request was accepted, the company refused to participate upon the tender. This was only upon the request of local suppliers. Those local suppliers did not have to work too hard to request as much as they had done in threatening them.

It often happens with us Instead of having Works done by request we initiate it by threat. And Subsequently the work get spoiled.

___________________________________________________________________________________(Hindi Translation)


कल की ही बात है , एक सरकारी department में किसी tender के सिलसिले में गया था तो वहां देखा कि Tender में भाग लेने के लिए देश भर से भी  लोग आये है। 

वहीं पर एक दिल्ली की कंपनी भी आई हुई थी और जब वो कंपनी Tender दाल रही थी तो वहां के कुछ local suppliers अपनी team के साथ आकर दिल्ली की कंपनी को tender ना डालने की धमकी देने लागे, उनसे बुरा बेवहार करने लागे, पिटवा देने की बात करने लागे।  जब दिल्ली की team ने ये बताया कि  Tender document के हर clause के हिसाब से वो लोग tender डालने में सक्षम है, कंपनी की  Branch office उनके राज्य में है, फिर भी वो लोग नहीं मान  रहे थे और लगातार बेहेस कर रहे थे, लगातार धमकिया दे रहे थे। 

अब जब बात पहुंची कंपनी के Directors तक, तब तक कंपनी की reputation पर बात आ गई थी। कंपनी ने उन local suppliers की बात को मानने से बिलकुल इंकार कर दिया। कंपनी के directors ने अपने Links का इस्तमाल किया, Police तक बात पहुंच गई।  State पुलिस, Media सब वहां  पहुंच गई। 

Police और media के आने के बाद बात और ज्यादा बिगड़ने लगी।  धीरे-धीरे उन local  suppliers को ये एहसास होने लगा कि वो लोग गलत तरीका अपना रहे है क्योकि लगातार डराने के बाद, धमकिया देने के बाद भी वो कंपनी अपना इरादा नहीं बदल रही । कुछ देर आपस में discuss करने के बाद उन्होंने ये decide किया कि उन्हें कंपनी से माफ़ी मांगनी चाहिए और Tender ना डालने के लिए Request  करना चाहिए। वो सब एक बार फिर अपनी Team  साथ कंपनी के members के पास गए और इस बार उन्होंने धमकी नहीं request कि। 

उनकी request क़ुबूल हो गई, कंपनी ने local suppliers की request पर tender ना डालने का नकि किया | उन  local suppliers को request करने में ज्यादा मेहनत भी नहीं करनी पड़ी जितना उन्होंने धमकिया देने में  कर दी थी। 

अक्सर ऐसा होता है हमारे साथ कि जो काम हम REQUEST से कर सकते है वहां हम अपनी ego के चलते खोकले धमकियों से करते हैऔर हमारा काम बिगड़ता है।   



Saturday, December 12, 2020

37. A Small Break Is Always Much Needed Therapy,

A person had once said a very good thing that when we are frustrated with our daily work, then he should just take a leave for a few days so that after a change we again charge-up.

After Lockdown everyone wanted a change, I also wanted to.

For the last two days I had gone to the wedding of my friend's brother where I met some friends of my hostel, senior, junior. Seeing this meeting of ours, it forced the pages of old memories to turn. We once again experienced  the same hostel's day. One special thing was that there was no discrimination of senior-juniors in this meeting, but what was there was happiness to meet the hostel fellows in the face of everyone. The same old memories, the same old stories, as if the night became short, but the talks did not end.

We danced, enjoyed every ritual, as if he lived his life once again for two days. No where was there any sadness or worry on the face of anyone, just there was a glimpse of laughter on everyone's face.

After these two days of fun, today it felt like I am completely relaxed, and the energy to work has doubled.




-------------------------------------------------------------------------------------------------------------------(HINDI TRANSLATION)


एक इंसान ने एक बहुत अच्छी  बात कही थी कि जब अपनी रोज मरात के कामो  से परेशान हो जाओ तो कुछ दिनों के लिए कही घूम आना चाइये ताकि एक change के बाद हम फिर से charge-up हो सखे। 
Lockdown के बाद हर कोई एक change चहाता था , मुझे भी चाहिए था। 

बिते दो दिन मैं  Bokakhat, अपने दोस्त के भाई की शादी में गया था वहां अपने hostel के कुछ दोस्तों से, senior से, junior से मिला। हमारी ये मुलाकात नजाने कितने पुराने यादो के पन्नो को पलटने में मजबूर कर दिया। हमने फिर एक बार वही hostel के दिंनो को जी लिया। एक खास बात ये थी कि इस मुलाकात में कोई senior-junior का भेदभाव नहीं था, पर जो था वो था सबके चेहरे पर अपने hostel वालो से मिलने कि ख़ुशी। वही पुरानी बाते, वही पुराने किस्से , मानो वो रात छोटी हो  गयी पर बाते खत्म  नहीं हुए। 

दिल खोल कर dance किया, हर एक रसम का मजा लिया, मानो ये दो दिन फिर एक बार अपनी ज़िन्दगी को ही जी  लिया। कहीं भी किसी के चेहरे पर उदासी या चिंता नहीं थी बस हसीं सबके चेहरे पर झलक  थी। 

इन दो दिंनो कि मस्ती के बाद आज ऐसा लगा जैसे पूरी  तरह से relax हूँ, और काम करने की energy बिलकुल दुगनी हो गई। 








Thursday, November 19, 2020

36. Childhood disappears with increasing age.

क्यों ऐसा होता है !!!
बढ़ते उम्रः के साथ बचपन कही गुम  होता चला जाता है।
क्यों ऐसा होता है !!! 

जिन vacations का इंतज़ार हम पुरे महीनो -साल करते थे, उन्ही vacations को एक बार फिर जीने को जी चाहता है,
क्यों ऐसा होता है !!!
बढ़ते उम्रः के साथ बचपन कही गुम होता चला जाता है।
  
सपना था जो कुछ बनने का, जो हर रोज बदलता था, 
कभी सोचते डॉक्टर बनना है तो कभी इंजीनियर, 
तो कभी सोचते Lawyer बनना है तो कभी Singer,
पर बनते वो है जो नियति ने हमारे लिए सोचा है। 
क्यों ऐसा होता है !!!
बढ़ते उम्रः के साथ बचपन कही गुम होता चला जाता है।  

College में वो यारो की unity, जिनसे भिड़ने से पहले एक बार तो college का management  भी घबराता था, 
आज उन्ही यारो के साथ एक बार फिर उन दिंनो को जिने का मन करता है। 
क्यों ऐसा होता है !!!
बढ़ते उम्रः के साथ बचपन कही गुम होता चला जाता है।  

त्यौहार जिनका इंतज़ार महीनो से लगा रहता था, आज एक calendar की date की तरह निकल पड़ता है। 
जिन birthday के लिए 20 days to go, 15 days to go, 10 days to go लगा रहता था, 
आज वही birthday एक गुमनाम date की तरह निकल पड़ता है। 
क्यों ऐसा होता है !!! 
बढ़ते उम्रः के साथ बचपन कही गुम होता चला जाता है।  

कभी रोज एक ऐसा दिन भी था जब सुबह की शुरूवात से चहरे पर एक गज़ब सा  रौनक दिखता था,
पर क्यों आज दिन भी खत्म हो जाता है पर कंधे का बोझ कम नहीं होता। 
शरारते  जो हम  करते थे वो बचपन में नादानी थी पर अगर आज करे तो गुनाह बन जाता है। 
क्यों ऐसा होता है !!! 
बढ़ते उम्रः के साथ बचपन कही गुम होता चला जाता है।  

यु तो शायद ये संभव नहीं पर कुदरत के आगे सबका सर झुकता है,
बचपन को एक बार फिर जिने का मन करता है। 
क्यों ऐसा होता है !!! 
बढ़ते उम्रः के साथ बचपन कही गुम होता चला जाता है।  
बचपन कही गुम होता चला जाता है।  







Monday, November 16, 2020

35. THE LEFT OUT TIME.

 कल एक बात का एहसास हुआ कि हमारा बचपन बहुत जल्द बित गया। आज बहुत दूर आ गए है हम। 

कल गुवाहाटी से आते वक्त सिर्फ 5 मिनट के लिए अपने ननिहाल पाठशाला गया था। पाठशाला गए हुए मुझको कम से कम 2-3  साल बित गए थे। इसमें सबसे बड़ी आश्चर्य बात मुझे ये लगी कि पाठशाला का नक्शा ही बदल गया और जहां हम महीनों बचपन बिताते थे, जिन गलियों कि रौनक हम बढ़ाते थे आज वही गलिया मुझे अनजानी सी लगने लगी, मैं अपने ननिहाल को ही नहीं पहचान पाया। पहली बार अपने ननिहाल को शहर की चकाचौंद के बिच ढूंढना पड़ा। 

उस दिन ये एहसास हुआ कि क्या सच्च में ये वहीं पाठशाला है जहां छुट्टियों में हम महीनों रहकर आते थे। क्या सच्च में हम इतने बड़े हो गए हम !!!!

उम्रः के साथ साथ जिम्मेदारियां बद रहीं है और उसी के साथ समय बीतता चला जा रहा है और पुरानी यादे बस दिल के संदूक में दबे चले जा रहे है। 




Saturday, October 3, 2020

34. Sunday Morning

 Sunday की सुबह....!!

ना जल्दी उठने का Tension,
ना काम पर जाने की जल्दी,
ना कीच-कीच वो रोजमर्रात वाली,
और  नाही वो दिन मेहनत वाली। 
पर हसीं के साथ सुरुवात होती,
वो सुबह Sunday वाली। 

लज़ीज नास्ता Sunday की सुरुवात को यादगार बना दे,
और नहाना तो देर सवेर से होता रहे। 

सुबह उठे चाहे कितने ही देर से,
पर मिटती नहीं वो थकान, घंटो के आराम से। 

Planning होती कहीं घूमने की,
Planning होती full-day मस्ती की,
Planning होती अपने Sunday को यादगार बनाने की,
और साथ ही साथ Planning होती हफ्तेभर के Frustration को एक ही दिन में दूर भागने की।

Sunday की सुबह..!!
मानो एक सुबह जो हमारे खुद के नाम की,
एक सुबह जो हमारी जिंदगी हमारे अपने ढंग से जीने की।  





Friday, September 11, 2020

33. One Negative Thought Destroyed Relationship.

 सच्च कहाँ है किसी कि "कभी-कभी जो हम देखते है वैसा होता नहीं और जैसा हम सोचते है वैसा होता  नहीं।"

कल एक बंदा अपनी ex-girlfriend को रस्ते में देख उससे मिलने के लिए उसके पिछे पिछे चल रहा था। उसने अपनी ex-girlfriend को पिछे से काफी आवाज़ लगाई पर वो नहीं  सुन्नी। उस बन्दे को ये लगने लगा कि आज भी उसकी ex-girlfriend उसे ignore कर रही है। मन में अजीब से बेचैनी होने लगी जिस वजह से  वो अपनी ex-girlfriend के सामने जाना भी जरुरी  नहीं समझा। उसे काफी बुरा लगा और उदास मन के साथ  मुड़कर अपने रस्ते चला गया। 

इस एक छोटे से किस्से की वजह से पुरे दिन उसे गुस्सा आ रहा था। अपनी ex-girlfriend के बारे में बहुत बुरा-भला बोला, सोचा पर असली सच्च को जान ना पाया। सच्च तो ये था कि उसकी ex-girlfriend ने उसकी आवाज़  सुन्नी ही नहीं थी क्यूंकि उसने Ear-Plugs अपनी कानो में लगा के रखे थे और बालो से धके रहने के  कारण  Ear-Plugs उस बन्दे को दिखे ही नहीं। 

दोनों अनजान थे एक-दूसरे से और रिस्तो में फिर खटास और बढ़ गई। उस लड़के को ये नहीं पता था कि उसकी ex-girlfriend ने उसकी आवाज़ ही नहीं सुन्नी थी और पुरे दिन परेशान रहा और उसकी ex-girlfriend को ये बात पता भी नहीं थी  कि उसका Ex-boyfriend उसे आवाज़ दे रहा था । 

उन दोनों के रिश्ते सुधरते पर गलत फमी कि  वजह से और बिगड़ गए। 




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(ENGLISH TRANSLATION)


It is the truth that "Sometimes what we see is not what it is and it is not what we think."

Yesterday, a boy was following her ex-girlfriend to meet her on the way. He called his ex-girlfriend a loud voice from behind, but she did not listen. The boy began to feel that even today his ex-girlfriend is ignoring him. There was strange discomfort in the mind due to which he did not think it necessary to go in front of his ex-girlfriend. He felt very bad and turned to his path with a sad heart.

Due to this one small anecdote, he was getting angry all day. He was very angry over his ex-girlfriend, but could not know the real truth. The truth was that his ex-girlfriend did not hear his voice because she had placed ear-plugs in her ears and the ear-plugs could not be seen because those were covered by her hairs.

The two were unaware of each other and Relationships then grew sour. The boy did not know that his ex-girlfriend had not heard his voice and was upset the whole day and his ex-girlfriend did not even know that her ex-boyfriend was giving him a voice.

Their relationship deteriorated further due to misunderstanding.




Tuesday, September 8, 2020

32. The Never Ending Tears Of My Mother.

ये वक्त कैसे बित जाता है पता ही नहीं चलता , आज 2 महीने बाद फिर अपने घर से दूर आना पड़ा। बहुत कठिन होता है दिल को समझाना और उस से भी कठिन है मेरे लिए मेरी माँ के आँखो से बहते हुए आंसू को देखना। 

आज जब घर से निकल रहा था तब मेरी माँ के आँखो से आँसू नज़ाने रुकने का नाम ही नहीं ले रहे थे और ये आँसू काटो कि तरह मुझे पुरे रास्ते में चूब रहे थे। आँखे बंद करता हूँ तो वही चेहरा सामने आता है, पर दूसरी तरफ ये भी ख्याल आता है कि ये तो मेरी माँ का निसवार्थ प्यार है। जब अभी कुछ दिन खुद बिमार थी तब मुझे घर के काम करते देख रोती  थी और जब में बिमार था तब भी रोती थी। 

आज समझ गया मे चाहे जितनी कोशिश करलु मे  लेकिन इन आँसू  को  रोक नहीं पाउँगा में क्युकि इन  आँसूवो में  दिखता मेर्री  माँ का  मेरे लिये प्यार है। 



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(ENGLISH TRANSLATION)

I do not know how soon this time is spent, today after 2 months I had to come away from my home again. It is very difficult to explain to the heart and harder than that is to see the tears flowing from my mother's eyes.

Today, as I was leaving my house, my mother's eyes were not taking the name of stopping to tears, and these tears were biting me the whole way inn my journney. When I close my eyes, the same face comes out, but on the other hand it is also thought that this is my mother's selfless love. When she was sick for a few days , she used to cry while watching my housework and she used to cry even when I was sick.

Today I understood that even if I try, but I will not be able to stop these tears because my mother's love for me is visible in these tears.




Wednesday, August 26, 2020

31. Decent People Are Still Available.

बिते sunday को हम चार दोस्त Manas National Park (जिसे Tiger Resort भी कहाँ जाता है) घूमने गए थे। वहां हम यारो के मस्ती के बिच मेरे साथ एक tragedy हो गया, मेरा wallet कहीं गिर गया। मेरे बाकि दोस्त और में  आस-पास सभी जगह ढूंढ़ने लगे पर इतनी देर ढूंढ़ने के बावजूद भी मेरा wallet कहीं नहीं मिला। हम निरास होकर वहां से निकल गए। मेरे wallet में कुछ रुपए, मेरे सारे cards, और कुछ जरुरी documents थे। मेने ये सोच लिए था कि मुझे  सारे documents अब फिर से नए बनाने पड़ेगें क्यूंकि wallet वापस मिलने की अब  गुंजाइश मुझे दिख नहीं रही थी। 

पर दुनिया में आज भी ऐसे लोग हैं। उसी Sunday शामको मेरे पास एक बन्दे का phone  आया जिसने मुझे बताया कि मेरा wallet उसके पास है तो  उसी से Barpeta North East Finance Bank से collect  कर लेने। उस बन्दे ने मुझे ये सांत्वना दी कि मेरा wallet सही सलामत है जिस वजह से मेरा tension काफी कम हो गया। उसने अपना नाम संदीप भराली बताया और वो  North East Finance Bank, Barpeta Branch का Asst.manager है। 

उस इंसान की चिंता दिख रही थी , अगले दिन उसने मुझसे ये confirm किया कि में कब और कितनी बजे अपना wallet collect करने आ रहा हूँ। में और मेरा दोस्त Chetan Barpeta अपना wallet लेने गए और  संदीप भराली जी से मिले तो हमारा शक यकीन मै  बदल गया। हमे ये शक था कि शायद ये बंदा उसी group में से एक है जिनसे  sunday को Manas National Park  मैं हम मिले थे। 

संदीप भराली जी से बात करने के बाद , मिलने के बाद बिलकुल अपना सा लगने लग गया था। उन्होंने न सिर्फ अपने साथ हमे चाय पिलाई बल्कि अपने branch के manager और अपने कई collegues से भी मिलवाये। मन में कोई लालच नहीं था और पहली मुलाकात में एक दिल का तार जुड़ गया। मेरा wallet उन्होंने दे दिया और हमने काफी सारे बाते भी की।  

आज मान गया कि दुनिया मैं आज भी शरीफ लोग हैं। 



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(ENGLISH TRANSLATION)

On the last Sunday I went to visit Manas National Park  (also known as Tiger Resort) along with my three friends. There I had a tragedy with me, in between the enjoyment with  my friends, my wallet lost. My other friends and I started searching everywhere around, but even after searching for so long, my wallet could not be found anywhere. We left from there without any hesitation. My wallet contained a few rupees, all my cards, and some important documents. I had thought that I would have to make all the documents fresh again as I could not see the scope of getting the wallet back.

But even today there are good people in the world. On the same Sunday evening, I got a phone call from a man who told me that my wallet is with him, so collect it from Barpeta North East Finance Bank. That man gave me the consolation that my wallet is safe, due to which my tension has reduced considerably. He called his name Sandeep Bharali and is Asst.manager of North East Finance Bank, Barpeta Branch.

The person was worried, the next day he confirmed to me that when and at what time I am coming to collect my wallet. Me and my friend Chetan went to get the wallet and met Sandeep Bharali ji, so our suspicion changed. We suspected that this man might be one of the same group from whom we met on Sunday inManas National Park 

After talking to Sandeep Bharali ji, we felt as if we are known to each other for long . He not only fetched us tea with him but also introduced us to the manager of his branch and many of his collegues. There was no greed in my mind and a heart strings joined in the first meeting. He gave my wallet and we also talked a lot.

Today it is accepted that even today there are decent people in the world.




Saturday, August 15, 2020

30. The Game of Ludo Removes Stress Of Whole Day.

पूरा दिन नजाने केसा भी बिता  हो पर रात को नींद अच्छी आती है क्योकि सोने से पहले वो 10 minute का Ludo का game पुरे mind को fresh कर देता है। 

रोज रात मेरी मम्मी, मेरी बहन और मैं Ludo का एक game खेलते हैं। 

उस game के वक्त मानो हम सब एक ही उम्र के बन जाते है , ईमानदारी भी चलती है तो साथ में थोड़ी बहुत cheating  भी चलती  है , कोई बहुत खुश होता है तो किसी को अपनी गुट्टी कट जाने का गम होता है, कोई game जित जाता है तो कोई हारता हैं , पर वो 10 minute के लिए  हम सब एक ही उम्र के बन जाते हैं। हँसी हम तीनो के चहरे पर छाई होती है, सारा Tension, थकान  पल में ही दूर हो जाता है।  मेरी मम्मी का पुरे दिन का थकान,गुस्सा एक Ludo के game से ख़तम हो जाता है। 

 सच्च में ये कुछ समय ऐसे होते है जब हम दो लोगो के लिए जीते है - पहला अपने परिवार के लिए और दूसरा हम अपने लिए। पूरा दिन हम चाहें जितने भी चीखे या चिलाये पर रात को अगर नींद अच्छी ना आये तो अगला पूरा दिन बर्बाद हो जाता  |  और एक शांत नींद के लिए हमारा दिमाग भी शांत होना पड़ता है। 



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(ENGLISH TRANSLATION)

Doesn't matter however I spend my whole day but I sleep well at night because a 10 minutes game of Ludo refreshes my mind totally before I sleep.

Every night my mother, my sister and I play a game of Ludo.

At the time of that game, as if we all become of the same age, honesty also goes on, cheating also goes on a bit, if someone is happy, then someone is sad to cut his gut, someone wins the game and  someone loses, but for those 10 minutes we all become of the same age. Laughter is on the face of all three of us, all the tension, fatigue disappears in a moment. My mother's whole day of tiredness, anger is overcome by a Ludo game.

In truth, these are the times when we live for two people - first for our family and second for ourselves. The whole day, whether we scream or shout, but if we do not sleep well at night, the next day will be wasted. And for a quiet sleep our mind also has to be calm.



Saturday, August 1, 2020

29. Friends -> Chosen Family.

ये दोस्ती ना रिस्तेदारी खून की,
ये दोस्ती ना बिरासत में मिली पूर्वजो की,
ये दोस्ती वो जिसे हमने अपने दम पर बनाई, 
ये दोस्ती वो जिसे हमने अपने दिल से निभाई। 

उम्र बदलती गई, नए दोस्त बनते गए,
पर पुराने हमेसा दिल के करीब रहते गए। 
नोक-झोक भी होती, 
पर शरारते बढ़-चढ़कर होती। 
ये दोस्ती हमने पाई। 

Busy दिन के बाद जब बिताते दो पल दोस्तों के साथ,
या अपनी मायूसी का राज share करते अपने दोस्तों के साथ, 
Tension होता दूर और गुस्सा होता शांत,
मुरझाये चहेरे पर हसीं दस्तक देती  फिर एक बार। 
ये दोस्ती वो जो हमने पाई। 

 कोई हमे शरीफ समझते तो कोई तो कोई हमे बिगड़ैल समझते, 
पर हमारी असली identity तो हमारे दोस्त समझते। 
हम किसी के सामने अच्छे बनते तो किसी के सामने Professional बनते,
पर कमीने तो सिर्फ दोस्तों के सामने ही बनते। 
ये दोस्ती हमने पाई। 

हम लड़ते, हम झगड़ते, तो कभी कभी एक दूसरे से काफी जलते,
पर मुसीबतो में हमेशा एक दूसरे के साथ खड़े रहते। 
रिस्तेदारी तो बहुत निभाते formality की,
पर दोस्ती दिल से हम  निभाते। 
ये दोस्ती वो जो हमने बनाई। 

दिन बदलते है,उम्र बदलती है, साल बदलते है,
पर दोस्ती हमारी वही रहती है। 
चाहे मिले महीनो या सालो बाद,
पर बात करने की टोन वही गलियों वाली होती है। 
ये दोस्ती वो जो हमने पाई। 
ये दोस्ती वो जो हमने पाई।।





Saturday, July 25, 2020

28. Evening With Family And Friends

हम अक्सर बाते करते है कि सुबह की सुरुवात अच्छी होनी चाहिए और अगर मैं ये कहुँ कि दिन का अंत भी अच्छा होना चाहिए तो शायद गलत तो नहीं होगा। 

पुरे दिन का Tension , थकान दूर हो सकता है अगर दो काम पूरी ईमानदारी के साथ कि जाये तो-

1. हर शाम कुछ समय दोस्तों के नाम- दोस्तों के साथ बिताया हुआ समय Tension दूर करने का काम करता है। हम हस्ते हैं, problem discuss करते हैं , चुगलिया करते हैं , गालिया देते हैं, राय लेते हैं और सबसे बड़ी बात हम अपने दिमाग को शांत करते है। दिन भर की सारी अच्छी-बुरी बाते हम एक साथ share करते है और immediate solutions भी ready रहता है। रात को नींद अच्छी आने का रामबाण इलाज है। 

2. हर शाम कुछ समय परिवार के नाम- अक्सर family को हमसे complain रहती है कि हम उन्हें Time नहीं देते।  हमारी life के एक तराजू में हमारा परिवार भी है। हम हस्ते है उनके खुशी  में और रोते है उनके गम में पर जीते है उनके लिए। और अगर कुछ time family के साथ बिताई जाये तो थकान दूर होता है और रात को नींद अच्छी आती हैं। 






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(English Translation)

We often talk that the early morning should be good and if I say that the end of the day should also be good, then perhaps it will not be wrong.

Tension of the whole day, fatigue can be removed if two things are done with complete honesty.

1. Every evening sometime in the name of friends- The time spent with friends works to remove tension. We laugh, discuss the problem, chew, cheek, take feedback and the biggest thing is we calm our mind. We share all the good and bad things of the day together and immediate solutions are also ready. Sleep is good cure at night.

2. Every evening sometime in the name of family- Often the family complains to us that we do not give them time. We have family in one of the scales of our life. We laugh in their joy and cry in their sorrow but live for them. And if some time is spent with family, then fatigue is relieved and sleep becomes good at night.







Saturday, July 4, 2020

27. Two Struggling years Transformed The Life Of Ravi.

कल मैं अपने ही जिला के एक बंदे से मिला। बंदे का नाम है Ravi |  याद आता है आज भी मुझे उसके बिते हुए दो साल।  बिते दो साल Ravi के लिए किसी struggle से कम नहीं थे। उन दो सालो में Ravi का पूरा business बर्बाद हो गया, खुद को किसी वजह से जेल भी जाना पड़ा, उसके पिता को heart attack की वजह से hospitalize होना पड़ा, बहन की सगाई टूट गई , चारो तरफ से problems ने घेर लिए था।  कोई family, कोई relatives उसकी या उसकी family की help के लिए आगे नहीं आई। और अगर किसी भी relatives से help मांग लेते तो वो  गालिया देते।
 
कहते है ना कि  जब बुरा वक्त आता है तब  बंद आँखे खोल देता है।  Ravi के माता-पिता कि हिम्मत पूरी तरह से टूट चुकी थी लेकिन उसने अपनी हिम्मत नहीं छोड़ी। वो जानता था उसका बुरा वक्त चल रहा है और  उसने अपने उस बुरे वक्त में एक बहुत अच्छा काम किया। उसने लोगो को परखना सीख लिया।  वो ये देखता रहा कौन-कौन उसके साथ है और किन-किन लोगो ने साथ छोड़ दिया। 

Ravi के  दो साल का Patience, हिम्मत, घाट-घाट की सिख ने दो साल बाद रंग दिखाना शुरू किया। एक दिन Ravi का  एक friend उसके पास एक offer लेकर आया कि उसकी एक medicine shop है जो वो चाहता है कि Ravi उसकी देख-रेख करे। Friend ने Ravi को Partnership offer कि with 0 % capital investment | मरता क्या ना करता, फ़ौरन हाँ बोल दिया और 01.01.2020 से Shop में जाना शुरू कर दिया। दो महीने में medicine shop की पूरी knowledge मिल गई। 

जहाँ corona virus की वजाह से पूरा देश मुसीबत में फसा था उसकी medicine shop चल पड़ी। Sanitizer, Mask, PPE kit, Sanitization Equipment etc की selling पर उसने बहुत मेहनत की और उसी के साथ Ravi का बुरा समय छटने लगा। Ravi के माता-पिता में भी हिम्मत का संचार होने लग गया था। 

ये दो साल की उदासी अब धीरे-धीरे हसीं में बदल रही थी। और अब इस आती हुई ख़ुशी पर सिर्फ और सिर्फ Ravi का हक़ था। 

सच्च कहते है कि समय का चक्र घूमते-घूमते अनेक रंग दिखता है। आज Ravi को देखकर समज भी आ गया।


 
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(English Translation)

Yesterday I met a fellow from my own district. The name of the fellow is Ravi. I still remember the last two years spent by him. The last two years were nothing short of a struggle for Ravi. In those two years, Ravi's entire business was ruined, he also had to go to jail for some reason, his father had to hospitalize due to heart attack, sister's engagement was broken, problems were surrounded all around. No family, no relatives came forward to help him nor his family. And if he or his family had asked for some sort of help from any relatives, they had to hear abusive lines.

It is said that when a bad time comes, it opens its eyes. The courage of Ravi's parents was completely broken but Ravi did not give up his courage. He knew that his bad times were going on and he did a very good job in his bad times. He learned to test people. He kept seeing who all is with him and which people left.

Two years of patience, courage, learning of Ravi started showing colors  after two years. One day a friend of Ravi came to him with an offer that he has a medicine shop which he wants Ravi to look after . Friend offered Ravi a partnership with 0% capital investment. Hearing  the Offer, immediately said yes and started going to the shop from 01.01.2020. Ravi Got full knowledge of medicine shop in two months.

The medicine shop started running where the whole country was in trouble due to the corona virus. He worked very hard on selling Sanitizer, Mask, PPE kit, Sanitization Equipment etc. and with that, Ravi's bad times started recovering. Ravi's parents also started to have courage.

This two-year sadness was slowly turning into a smile. And now this coming happiness was only and only Ravi's right.

It is said that the cycle of time shows many colors. I realized after looking up Ravi.





Monday, June 29, 2020

26. 10 Minutes Tea

अक्सर हम जब किसी कै घर या office जाते है तो as a manner of gesture हमे चाय या कॉफ़ी के लिए पूछा जाता है और हम शर्मा कर मना कर देते है | इस blog को पढ़ने के बाद offer की हुई चाय या कॉफ़ी को मना नहीं कर पाओगे | 

Logic ये है कि जब हम चाय या कॉफ़ी पिने के लिए रुकते है तो हमे उस एक कप को खत्म करने मे कम से कम 10 मिनट जरूर लगता है और उस 10 मिनट तक offer करने वाला हमारे पास ही बैठा रहता है । वो 10 मिनट बहुत crucial है क्यों कि-
उन 10 minute में जो conversations होती है उसमे दोनों party एक-दूसरे के बारे में जान लेते है। 
उन 10 minute में जो बाते होती है उसमे दोनों के Positive & Negative symptoms नज़र आ जाते है। 
उन 10 minute में दोनों को एक दूसरे की thinking mentality के बारे में पता चल जाता है।   
उन 10 minute में दोनों के बिच एक relation build up हो जाता है। 
उन 10 minute में दोनों के बिच future segment decide हो जाता है। 

ये वो बाते है जो एक कप चाय या कॉफ़ी से बन सकती है।


 

Thursday, June 25, 2020

25. Rain- You Only Keep Pouring

ऐ बारिश....!!! 
तू सिर्फ बरसता रहता है,

ना लेता Permission किसी की और ना करता इंतज़ार 
तू सिर्फ बरसता रहता है,

ना देखता कहाँ  और किसकी जमीन में बरसना है 
तू सिर्फ बरसता रहता है,

ना देखता होगा नुकसान कितना किसी का और ना फ़ायदा कितना 
तू सिर्फ बरसता रहता है, 

ना बार्ड की चिंता और ना झोपड़े उज्ज़र जाने की परवाह 
तू सिर्फ बरसता रहता है, 

पूरी दुनिया को भिगोता है और अपनी मर्ज़ी से ही रुकता है 
तू सिर्फ बरसता रहता है,

ना किसी की मिन्नतें सुनता और ना किसी के गुस्से से कोइ फर्क पड़ता 
तू सिर्फ बरसता रहता है,

अपनी ही धुन में बरसता और ना किसी से कोई मतलब रखता है 
तू सिर्फ बरसता रहता है ||| 











Wednesday, June 24, 2020

24. The Relationship Between Frustrated Shopkeeper & Rain.

हालांकि बारिश बच्चों के लिए बहुत प्यारी है, लेकिन अगर किसी दुकानदार से बारिश के महत्व के बारे में पूछा जाए, तो यह जले पर नमक छिड़कने के बराबर होगा।

आज पूरे दिन बारिश होती रही। लोग अपने घरों में बंद थे लेकिन एक दुकानदार  यह जानते हुए कि भारी बारिश के कारण आज उसकी दुकान में कोई बिक्री नहीं होगी, फिर भी उस तेज बारिश के कारण, वह सड़क पर पानी भरने के बाद भी अपनी दुकान पर जाता है। वह अपनी दुकान खोलता है और अपनी दुकान को उसी तरह से सजाता है जिस तरह से आज भी एक ग्राहक उसके पास आएगा।

वो अपने counter में बैठकर और अपनी आँखे दरवाजे पर टिकाये बस इंतज़ार करता है | कुछ नहीं करता बस बैठा रहता है फिर भी busy रहता है | समय बितता जाता है और आसमान से बरसते  बारिश की बुँदे उसके लिए आग में पेट्रोल ढालने का काम करती है | हर बितते  समय उसके मनमे अजीब सी बेचैनी बढ़ती जाती है और बारिश के लिए उसका गुस्सा बढ़ता जाता है | 

सुबह से दोपहर होती है, दोपहर से शाम और शाम से रात वो दुकानदार बस इंतज़ार करता है और बहार बारिश अपनी केहर बरसाती है | निराश होकर रात को अपनी दुकान की lights off करके दुकान बंद करके अपनी पलके झुकाये फिर वही बारिश का सामना करते हुए अपने घर की ओर चलता है और घर जाकर निराश मन के साथ जाकर सो जाता है बस ये सोचकर कि "आज बारिश ने अच्छा नहीं किया" | 







___________________________________________________________________________________(ENGLISH TRANSLATION)

Although the rain is very sweet for the children, but if asked by a shopkeeper about the importance of rain, it will be equivalent to sprinkling salt on the burn.

It was raining all day today. People were closed in their houses but a shopkeeper knowing that there would be no sale in his shop today due to the heavy rain, yet in the face of that strong rain, he used to go to his shop even after the water filled the road. He opens his shop and decorates his shop in the same way  that even today a customer will come to him.

He sits in his counter and keeps his eyes fixed on the door. Doesn't do anything, just sits still busy. Time is spent and the rain drops from the sky work to make petrol in the fire. Every time he grows strange anxiety in his mind and his anger for rain increases.

It is from morning to afternoon, from noon to evening and from evening to night, the shopkeeper just waits and rains rain outside. Disappointed, turn off the lights of your shop at night and close the shop and tilt your eyelids, then he walks towards his house facing the rain and goes home and goes to sleep with a frustrated mind, just thinking that "today the rain is not good Done "