Monday, December 20, 2021

53. इंसान नहीं, राम नहीं, कृष्ण नहीं, भगवान नारायण ही है तू |||

                                                          ऐ  दुनियां की किस्मत लिखने वाले,
तू शायद अपनी ही किस्मत लिखना भूल गया ||
नारायण का अवतार हो कर भी तू ,
स्वयं अपने लिए कांटे बिछा गया ||

जन्म चाहे अयोध्या के राज महल में लिया ,
या मथुरा के कारागार में, 
सुख तो ना पाया कभी, 
अपने ही पुरे जीवन संसार में ||

बड़े बड़े राक्षस  मारे | 
जीत लिए सीता का राज-स्वयंवर | 
राधा ने भी क्या खूब बसाया मन मंदिर में |
प्रेम का अनूठा नाम,
रच गया संसार में,
राधे- श्याम, सीता- राम बनकर। 

जन्म लेते ही अपनी माँ का चेहरा भी न देख पाया | 
एक ही पल में राज-सिंहासन को  त्याग, बनवासी हो गया |
जिस प्रेम की  दुहाई देती है दुनिया ! 
उसी वियोग में क्यों सीता से दूर होकर कठोर बन गया ?
और वहीं राधा को अपने मन में बसाकर,  
पल पल खून के आंसू रोया ||

ऐ   दुनियां की किस्मत लिखने वाले !! 
तू अपनी हीं किस्मत, काँटों से बिछा गया | 
अंत समय में अपने पिता को कांधा भी ना दे पाया |
राजा होकर भी तू, एक झोपडी में अपना संसार बसाया। 

जिस रावण के अहंकार  से धड़क उठा था भूमण्डल,
सीता का अपहरण कर, जिसने रुलाया तेरा मन, 
क्यों रचा युद्ध का इतना बड़ा आडम्बर ? 
जब शक्ति सिर्फ तुझमे थीं !!
रावण का अंत कर, पल में सीता को अपने पास बुलाकर। 

क्यों गोकुल में राक्षसों का आतंक  मचवाया ? 
कंस का अंत, तो सिर्फ, तेरे ही हाथों  था  लिखा गया ।

मर्यादा पुरुषोत्तम होकर भी प्रजा ने आरोप लगाया | 
सूर्यवंश कि कीर्ति बचाने के लिए,
बिन जाने अपने बेटो से ही युद्ध में भिड़ गया। 

भरी सभा में स्त्री के सम्मान में 
साडी का सेहलब ला दिया | 
भरी सभा में भाई सिसुपाल के कटु शब्द सहे, 
वचन जो तूने दिया अपनी भुआ को, १०० गलतिया भुलाकर |

धर्म की स्थापना के लिए, शस्त्र को त्यागा ,
भगवत गीता के जरिये दुनिया को रास्ता दिखाया |
महाभारत ने बदल दिया रुख, हवा का दुनिया से ,
पर अंत में गान्धारी के कड़वे  श्राप को भी हस्ते हस्ते स्वीकारा ।। 

कहाँ थी वो शक्ति धनुष-बाण की ! 
कहाँ थी शक्ति सुदर्शन चक्र की !
क्यों सहा तूने, स्वयं नारायण का रूप है तू |

तकलीफो को सहकर भी कैसे मुस्कुरा था तू ?
हर परिस्थिति में शांत कैसे रहता था तू ?
दे दे वरदान शांति का !!!
आखिर में इंसान नहीं,  राम नहीं, कृष्ण नहीं !!
भगवान नारायण ही है तू |||


                                     
















Saturday, November 27, 2021

52. SPEAK YOUR WORDS WISELY...

ऐै  बन्दे....!!! 
शब्द अपने संभाल कर बोल। 
ये तेरे  शब्द ही हैं, जो तुझे बनाएंगे, 
ये तेरे शब्द ही हैं, जो तुझे तोड़ेंगे, 
ये तेरे शब्द ही हैं, जो तेरी असली पहचान बनाएंगे। 

तू मालिक हैं...!
शब्द तेरे, तेरे कर्मचारियों  में आत्म्विश्वास  बढ़ाएंगे। 
तू पिता हैं...!
शब्द तेरे, तेरे बच्चों की हिम्मत बढ़ाएंगे। 
तू जहां रहता हैं..!
शब्द तेरे, वो वातावरण को बनाएंगे। 
ऐै बन्दे....!
शब्द अपने संभाल कर बोल,
ये तेरे शब्द ही है जो तुझे एक इंसान बनाएंगे।

ये जुबान  पर आए शब्द ही थे,
जिस वजह से शिशुपाल ने अपना सर गंवाया। 
ये जुबान पर आए शब्द ही थे,
जिस वजह से रामायण में भाई को भाई से ही दूर करवाया।
और ये जुबान पर आए किसी के शब्द ही थे,
जिसने वाल्मिकी को साधू बनाया।
ये जुबान पर आए बुद्ध  के शब्द ही थे,
जिसने उंगलीमल जैसे राक्षस को भी इंसान बनाया।
ऐै बन्दे....!! 
ये तेरे शब्द ही है, जो तेरी जिंदगी बनाएंगे।

तू चाहे तो थप्पड़ खींच के मार,
तू चाहे तो कर लातों की बौछार,
पर शब्द ना बोल ऐसे जो 
जख्म  दे हजार।

शायद वो तुझे कुछ ना बोलेगा,
पर ऊपर देख उस रब से वो शिकायत करेगा।

अपने शब्द से जो तू बोएगा
फल उसी का जो पायेगा
वहीं तेरा भविष्य बनाएगा ।

ऐै बन्दे 
शब्द अपने संभाल कर बोल ।

ऐै बन्दे 
शब्द अपने संभाल कर बोल ।







Saturday, September 18, 2021

51. मैं जैन तो नहीं , पर......?


मैं जैन तो नहीं पर.... 
जैन धर्म के आगे सर  झुकाता हूँ। 
अपनी आत्मा तो पवित्र करना 
मैं किसी और से नहीं 
बस जैन धर्म से सीखता हूँ। 

दसलक्षण जैसे पवित्र त्यौहार से 
मैं अपने खुद को पहचानना सीखता हूँ। 
दुनिया से परेह होकर 
मैं अपने खुदकी शक्तियों को पहचानना सीखता हूँ। 
मैं जैन तो नहीं पर....
जैन धर्म से मैं बहुत कुछ सीखता हूँ। 

किसी को आसानी से माफ़ कर देना और खुद माफ़ी भी मांगना ,
अपने दरिया दिल से चिंताओं के बवंडर को दूर करना,
अपनी सोच को सुधारकर सत्य की राह में चलना 
अपनी ज्ञान की शक्ति से खुदकी राह खुद बनाना , 
इन्ही लक्षणों से मैं आगे बढ़ने की प्रेरणा लेता हूँ। 

संयम से मैं तप को धारण करता हूँ,
सब मोह-माया से दूर 
एक नई सुबह कि सुरुवात मैं करता हूँ।  

अपने मन के भावों को त्याग कर 
मैं औरो  को सम्मान देना सीखता हूँ। 
मैं खुदसे खुदको पहचानना सीखता हूँ। 

मैं जैन तो नहीं पर...
जैन धर्म से मैं जिना सीखता हूँ।


Thursday, September 9, 2021

50.बप्पा तुझसे शिकायते बहुत हैं |

बप्पा !!!
तू विघ्नहर्ता  कहलाता हैं, 
पर मेरे विघ्न  क्यों नहीं हरता हैं? 
यू मूर्ति बनकर बैठा है,
सुनकर भी मेरी बाते अनसुना कर रहा हैं। 
बप्पा !!! 
तू विघ्नहर्ता कहलाता हैं। 

तू देवों में सबसे निराला है, 
प्रथम पूज्य का सम्मान तुझे मिला हैं। 
मंगल कार्य की मंगल मूर्ति तू बना हैं,
गजानन, विनायक अनेको नाम से तू जाना गया हैं। 
फिर क्यों बाप्पा !!
आज तू मुझे देख मौन बैठा हैं ?

जिम्मेदारी निभाते-निभाते अपना मुख समर्पित कर दिया,
जिम्मेदारी निभाते-निभाते अपना एक दन्त खो दिया, 
कुछ खोकर भी तू गजमुख विनायक बन गया। 
उस टूटे दन्त से महाभारत रच दिया। 
अब क्या सजा दू तुझे,  बप्पा   !!
तू बस मेरी जिम्मेदारी ही ढंग से ना निभा पाया। 

हाँ !! तुझसे शिकायत मैं बहुत रखता हूँ 
क्यूंकि पिता-भाई-दोस्त तुझे सब कुछ मैं  मानता हूँ 
फिर भी  बप्पा   तेरा स्वागत मैं ढोल- नगाड़े से करता हूँ। 
और वहीं तेरे जाने पर 
पलके झुकाये, तुझे बिदा करता हूँ। 

सुखकर्ता दुखहर्ता तू कहलाता हैं, 
तेरे भक्तो कि भिड़ में शायद मैं ही कहीं खो गया हूँ। 
तू हैं, इसका एहसास हैं मुझे 
पर तू मेरे साथ हैं, ये विश्वास कब होगा मुझे ?

बिन मांगे भी बहुत कुछ दिया हैं,
बस कुछ शिकायतें हैं तुझसे, 
क्युकि डरता नहीं, प्यार है तुझसे। 
तू बस साथ रहना 
यही प्रार्थना हैं  बप्पा   तुझसे। 











 



Friday, August 20, 2021

49. Younger Age With INCREDIBLE Thoughts

Just yesterday, I bowed before the wisdom of a small girl.

I went to a program yesterday where class-10 pass-out students were being felicitated this year. I saw all the children looking at each other and touching the feet of all those who were felicitating them and those who were sitting on the stage.

In the crowd of those 30-35 children, there was a girl, 15 years of age who touched the feet of all the people sitting on the stage except the person who felicitated  her. Instead of touching his feet, the girl choosed to shake hands. I didn’t understand why she did this? Where everyone was touching feet, why didn't she do what everyone else was doing?

This is a option, I accept but I wanted to know what thought-process was going over her mind at that moment.

After the program was over, I could not stop myself and asked the girl why she do this.

That girl's answer bowed me before her age and age's wisdom.

The girl replied me, "The one who felicitated me is of my brother's age and the rest of the people who were sitting on the stage are of my father's age. If I touched the feet of the one who is of my brother's age, he would have felt awkward.  And somewhere other people who were sitting here would also have made fun of him which I didn't wanted. I don't want those who felicitated me over my success to have less respect than mine."

The great thinking of that girl's young age made me realize that this girl cannot be a part of any crowd. In the open sky, she will fly with her wings planted. Its wisdom will take it a long way.





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(HINDI TRANSLATION)

बस कल ही की बात, एक छोटी सी बच्ची की समझदारी के सामने मैं  नतमस्तक हो गया। 

मैं कल एक program में गया था जहां इस साल Class-10  के pass-out students को felicitate किया जा रहा था।  मैने देखा की सभी बच्चे एक दूसरे के देखा-देखी उन सभी के पैर छू रहे थे जो उन्हें felicitate कर रहे थे और जो स्टेज पर बैठे थे। 

उन 30-35 बच्चों की भीड़ में एक 15 साल की लड़की ऐसी थी जिसने उस इंसान  को जिसने उसे  felicitate किया, को छोड़कर स्टेज में बैठे बाकि सभी लोगों के पैर छुवे। उसके पैर छूने के बजाय , उस लड़की ने  हाथ मिलाना चुना। मुझे ये नहीं समझ आया कि उसने ऐसा क्यों किया। जब सब पैर छू रहे थे तब उसने वो क्यों नहीं किया जो हर कोई कर रहे थे। 

ये एक option हैं, मैं इसे मानता हूँ, पर मैं ये जानना चाहता था कि उस समय उसके दिमाग में क्या thought-process चल रहीं था। 

Program खत्म होने के बाद मुझसे रहा नहीं गया और मैने उस लड़की को पूछ लिया कि उसने ऐसा क्यों  किया। 

उस लड़की के जवाब ने मुझे अपने उम्र और उम्रः के समझदारी के सामने झुका दिया।  

उस लड़की ने मुझे ये जवाब दिया  "जिसने मुझे Felicitate किया वो मेरे भाई की उम्र का हैं और बाकि जो लोग स्टेज पर बैठे थे वो मेरे पापा के उम्र के हैं।  अगर मेँ अपने भाई के उम्र वाले के पैर छूती तो उन्हें awkward feel होता और कहीं ना कहीं  बाकि लोग जो यहाँ बैठे थे वो उनका मजाक बनाते जो मैं नहीं चाहती थीं। जिसने मुझे felicitate किया उनका सन्मान मेरी बजाह से कम हो ये मैं नहीं चाहती। "

उस  बच्ची की छोटी उम्र कि  बड़ी सोच ने मुझे ये एहसास दिलाया कि ये लड़की किसी भीड़ का हिस्सा नहीं बन सकती।  खुले आसमान में ये अपने लगाए पंखों के साथ उड़ेगी।  इसकी समझदारी इसे बहुत आगे तक ले जाएगी।



 

Sunday, July 11, 2021

48. हम लड़के हैं पर Pressure Cooker नहीं

हम लड़के हैं पर Pressure Cooker नहीं। 
चेहरे से सक्त दिखते हैं, 
पर दिल में sensitivity कूट कूट कर भरी हैं कहीं ना कहीं। 

बचपन से यही सिखाया जाता हैं, 
परिवार का नाम रोशन करना हैं !
सब तुम्हे ही संभालना हैं !
पैसे भरपूर कामना हैं !
पर खुदको सँभालने में चूक जाते हैं हम कभी कभी। 
जी हाँ  हम लड़के हैं पर Pressure Cooker नहीं।

घर की Financial Problem हो 
या जैसा भी हो Health Condition | 
रिश्तेदारों के ताने हो 
या Girl Friend का rejection | 
हर situation पर bold रहना हैं, 
यही होता है हमारा Call-for-action | 
जी हाँ  हम लड़के हैं पर Pressure Cooker नहीं।

जिम्मेदारियों का क्या कहे- 
चार दिन की trip हो 
या Fracture हाथों पर हो। 
दिल से बेचैन हो 
या चाहने वाले से तकरार हो। 
चेहरे पर शिकंज भी नहीं ला सकते हम ,
चाहकर  एक दिन भी नहीं रुक सकते हम ,
चलते रहना हैं चाहे ख़ुशी हो या गम। 
जी हाँ  हम लड़के हैं पर Pressure Cooker नहीं।

उम्र 25 की जब हमारी आती हैं, 
खतरे की घंटी अब बजना शुरू हो जाती हैं। 
कई सारे ख्याल रातों में सोने नहीं देते! 
एक ओर शादी का Pressure,
दूसरी ओर career का tension 
एक ओर family की Social Standing का Pressure, 
दूसरी ओर अपने यारों से दूर हो जाने का गम 
इन सबको सँभालते सँभालते 
काफी बदनाम हो जाते हम। 
जी हाँ  हम लड़के हैं पर Pressure Cooker नहीं।

Success को हमारी किस्मत का खेल कहाँ जाता हैं, 
Failure पर हमारी गलतियों से नवाजा जाता है। 
अकेलेपन, Anxiety का शिकार हम भी हैं, 
पर क्या करे हम दिखाते नहीं हैं। 
जी हाँ  हम लड़के हैं पर Pressure Cooker नहीं।

हमे संभालना भी आता हैं, 
हमे संभलना भी आता हैं, 
जी हाँ  हम लड़के हैं पर Pressure Cooker नहीं।






Monday, June 14, 2021

47. कुछ परिवर्तन मुम्किन होते है

"कहते है जब दिलो में नफरत की जुवला इस कदर बढ़ जाती है कि किसी की भी फटकार, या सलाह, या तर्कीव उस नफरत कि आग को ठंडा नहीं कर सकती तब कोई Positive शक्ति, कोई दैविक शक्ति ही उस नफरत की जुवला को ठंडा कर सकती है।"

 मैंने इस Positive शक्ति को शाक्षात महसूस किया है। 

 गत कुछ सालों से मेरे चाचा और हमारे परिवार के बिच कई घरेलु मामलो को लेकर बात-विवाद चल रहा है। इन घरेलु मामलो को लेकर हम दोनों परिवारों में एक नफरत सा माहौल दिलो पर छाया हुआ था।  ये नफरत इस कदर थी कि  दोनों परिवार एक दूसरे को देखना तो दूर, एक दूसरे का नाम भी पसंद नहीं करते थे। इस नफरत ने पुरे परिवार को, सारे रिस्तेदारो को भी एक दूसरे से दूर कर दिया था।

और कहीं ना कहीं ये नफरत मेरे मन में भी अपने चाचा के लिए पल रही थी जिसे मिटाना शायद आसान नहीं था। मेरे मन में मेरे चाचा के प्रति नफरत, गुस्सा दिन-प्रतिदिन बढ़ता ही चला जा  रहा था। छोटे- बड़े का सम्मान बिल्कुल खत्म हो चूका था। 

एक घटना ने मेरे मन से 13 साल पुराने पलते नफरत को एक ही झटके में खत्म कर दिया। 

गत कुछ दिनों पहले मेरे चाचा और उनका पूरा परिवार कोरोना से संक्रमित  थे । चाचा समेत सब परिवार अपने घर में isolate हो चुके थे। मेरे पापा रोज चाचा से उनके और  उनके परिवार के स्वस्त की खबर लेते जरूर थे पर मेरे मन में कोई चिंता नहीं थी। कुछ दिंनो बाद मेरी चाची की तबियत अचानक बहुत ज्यादा बिगड़ गई , यहाँ तक की hospital में admit करने की नौबत आ गई। चाचा, चाची को Guwahati, Health City Hospital में admit कैरवाने ले जा रहे थे।  मुझे जैसे ही ये खबर पता चली, मेने सबसे पहले अपने पापा को जाकर ये बताई।  मेरे पापा ने चाचा से पूछा अगर मेरी जरुरत है तो मुझे साथ ले जाने  जिसपर मेरे चाचा ने मना कर दिया। 

शायद उसी वक्त ईस्वर ने इशारा दे दिया था कि यही वक्त हैं अपने फ़र्ज़ को निभाने का । एक ही  मिनट में बहुत सारे सवाल  मन को परेशान कर रहे थे कि चाचा और चाची दोनों कोरोना संक्रमित हैं तो इस हालात में कैसे चाचा hospital की formalities पूरी कर पायेगा?, कौन उनके पास रहेगा?, वो कैसे चाची का ख्याल रख पायेगा?, कहीं चाचा के कुछ हो गया तो क्या होगा ? इन सभी सवालो का जवाब उस वक्त मुझे सिर्फ एक ही नज़र आ रहा था कि मुझे इसके साथ जाना होगा। 

बिना दिल में कोई शिकायत रखे मैने चाचा  से बात कि जिसपर वो मुझे साथ चलने  से मना करने लगे पर उस वक्त शायद नियति को कुछ और ही मंजूर था। PPE KIT पहनकर, ईस्वर का नाम लेकर मैं चाचा-चाची से साथ Ambulance में Guwahati जाने को तैयार हो गया।  उस वक्त से लेकर Hospital में रहने के आखरी दिन तक मेरे मन में एक बार भी ये ख्याल नहीं आया कि हमारा पारिवारिक वैर चल रहा है। मेरे से जो और जितना अच्छा हो सका मैंने वो सब किया। हर वो कोशिश कि जिस से चाचा और चाची को कोई तकलीफ़ ना हो। 

ये 6  दिनों में बदलाव के नाम पर बहुत कुछ हुए। चाचा और मैं अपने मनभेद को छोड़कर वापस अच्छे से बात करने लगे, एक दूसरे के प्रति प्रेम और सम्मान के भाव वापस नज़र आने लगे, पुराने झगड़े के किसी भी बातों का जिक्र नहीं हुआ, क़रीबी रिश्तेदारों के साथ सम्बंद वापस सुधरने लगे, दिलों की नफ़रत खत्म होती नज़र आने लगी, निस्फिकर होकर एक दूसरे के प्रति विश्वास वापस मेहसूस होने लगे। 

ये वो बदलाव हैं जो शायद होना नामुमकिन सा था। ये और कुछ नहीं एक दैविक शक्ति ही थी जिसने सालों की नफरत को बिना किसी  फटकार के साथ प्यार में बदल दिया। ये वो दैविक शक्ति ही थी जिसने मुझे Guwahati जानने पर मजबूर कर दिया था।  ये वो दैविक शक्ति ही थी जिसने दिलों को परिवर्तित कर दिया। 

ये परिवर्तन अच्छा हैं। 







Wednesday, May 12, 2021

46. My Sea of Dreams.


ऐ ख्वाब !! तू दरिया है मेरे मन का। 
सोचता हूँ जितना तेरे बारे में,
उतना ही गहरा मेरा मन होता चला जाता। 
ऐ ख्वाब !!तू दरिया है मेरे मन का। 

कोशिशों की कस्ती में बैठकर, 
एक किनारे पर अपना लक्ष साद कर, 
चल पड़ा मैं, ऐ ख्वाब !
तुझे  लांघने !
अपने जान की बाज़ी लगाकर। 

कोशिशों की कस्ती जब पहुंची बीच मझधार  पर, 
चारो तरफ मैं अकेला, उस विशाल दरिया पर, 
हवाएं इस कदर चल रही थी, मेरे मन को चीरकर ,
लगा गिर जायूँगा बस लोगों में एक  उम्मीद बनकर। 

ना थी कस्ती चलाने की  समझ, बस चला रहा था। 
गिर जायु दरिया पर, तो ना तैर पाना जानता था। 
रुक जायु तो पता नहीं किस ओर  जाना  था। 
बस चलता था, ऐ  ख्वाब !
क्युकि मुझे तुझे लांघना  था। 


कसर नहीं छोड़ी मुझे झुकाने की. 
कसर नहीं छोड़ी मुझे डराने की. 
कसर नहीं छोड़ी मुझे वापस लौटाने की.
पर शायद मेरा विश्वास तेरे विशाल काये से बड़ा था। 
झुका नहीं, डरा नहीं, वापस लौटा नहीं,
बस आगे बढ़ता गया जबतक वो किनारा आया नहीं। 

अब वो दिन भी आया. 
मेरी कोशिशों की कस्ती को वो किनारा मिल गया। 
ऐ   ख्वाब !! मैं तुझे लाँघ आया, 
दरिया होकर भी तू मुझे रोक न पाया। 

ऐ ख्वाब, तू दरिया है मेरे मन का। 
सोचता हूँ जितना तेरे बारे में,
उतना ही गहरा मेरा मन होता चला जाता। 
ऐ ख्वाब !! तू दरिया है मेरे मन का। 







 

Friday, May 7, 2021

45. How Incredible Is Mother...

 माँ !!
कहने को तो बस दो अक्षरों का छोटा सा शब्द है ये,
पर समाता इसमें पूरा ब्रम्हांड हैं। 
दुनिया चाहे हमे कितना भी बुरा या अच्छा समझे
पर अपनी माँ के सामने आज भी हम एक नन्ही सी जान है। 
 
लोग चाहे कितना भी थोक बजाकर दावा करे हमे पेहचानने की 
पर मैं कहता हूँ, पहचानती हमे ये उनलोगो से कम से कम नौ महीने तो ज्यादा है। 

मेहसूस मेरे होने का मेरी माँ को  उसी दिन हो गया था 
जब pregnancy strip में बस एक लकीर बनकर मैं दिखा था। 

पता नहीं केसा एक  दरिया समाता है माँ  के आँखों में, 
मेरे रोने पर तो रोती  है, पर  मेरे हॅसने पर भी रोती है ,
मेरे  fail होने पर तो रोती है, पर मेरे पास होने पर भी रोती हैं, 
मेरे घर से दूर जाने पर भी रोती है तो घर जब लौट आता हूँ तब भी रोती हैं 
ये बेह्ते आँसुओ की लेहरे और कुछ नहीं मेरी माँ का  निस्वार्थ प्यार है। 

हमारी उदासी का राज  हमारी आँखे देख समझ जाती है, 
और झूठ हमारा झट से पकड़ लेती है। 
ये कला तो ईस्वर ने और किसी को नहीं बस एक माँ को ही दी हैं,
बिन कहे हर बात समझ जाती हैं। 

स्वस्त हूँ आज मैं जिसकी वजाह से,
वरना कसर नहीं छोड़ी थी मैने अपने आपको बरबाद होने से। 
ईश्वर सलामत रखें माँ को,
क्युकि औकात नहीं मेरी इनके सामने सर उठाने को। 









Friday, April 30, 2021

44. रोहित सरदाना को सब्दो की श्रद्धांजलि ||


छोड़ गए रोहित सर आज आप 
बिच मझधार में यु हाथ छोड़कर। 

गड़गड़ाहट  वो बुलंद आवाज़ की 
अब हमेसा के लिए मौन कर। 

कानो ने जब सुना खबर आपके यात्रा की, 
आँखे रोक ना पाई जल के प्रवाह को वहीं ,
दिल ने पूछा, "कहीं ये कोई सपना तो नहीं ?"

शौर इस कदर मचाया आपने,
सोते हुए देश को हर वक्त अपनी आवाज़ से जगाया आपने।  
क्यों आज  खुद सो गए ?
शायद इतना भी परेशान नहीं किया था हमने। 

माना हम तो पराये थे, 
पर दोष  उनका क्या जो दो फूल उगाये आपने अपने आँगन में थे। 
मूर्झा गए है वो चेहरे, 
क्युकि छोड़ गए आज आप उन्हें अकेले। 

क्यों और कैसा प्रचंड नियम है ये प्रकृति का ? 
जब आते है तो खुशिया बिखेरते है,
और जब जाते है तब दिलो को रुलाकर जाते है। 

प्रेरणा है आप लाखों देश वासियों की,
अपनी आवाज़ पर भरोसा करना सिखाया है अपने। 
ना भूल पाएंगे आपको अपनी ज़िन्दगी में कभी। 













































Tuesday, April 20, 2021

43. एक मारवाड़ी कैसे बना एक सफल व्यापारी

एक मारवाड़ी कैसे बना एक सफल  व्यापारी 

अक्सर ये सवाल आते है कि मारवाड़ी सफल Businessman कैसे है? मारवाड़ी इतने अमीर क्यों है ? एक मारवाड़ी सोचता कैसे है ?

1. BUSINESS ORIENTED MIND- मारवाड़ी जन्म से व्यापारी  होते है।  जहां एक आम आदमी बीबी- बच्चे, नौकरी, आराम के बारे में सोचता है वहां एक मारवाड़ी को बचपन से ही रुपयों, व्यापर के बारे में सिखाया जाता है,  जिस वजह से बचपन से ही मारवाड़ी का दिमाग  Business -Oriented रहता  है। Job हमेसा से इनके लिए एक temporary platform रहता है। 

2. UP-TO-DATE ACCOUNTING- जहाँ  बाकि Businessman अपने Business Operations पर ध्यान देते है वहां मारवाड़ी अपने Accounting operations पर ज्यादा ध्यान देते है। ये  Business Operations को delegate करते है पर accounts हमेसा खुद monitor करते है। 

3. FANTASTIC INVESTOR- आज भारत के Top 5 investors मारवाड़ी है। मारवाड़ी कंजूस नहीं होता हैं ये रूपये की actual value को समझता है और इसी वजह से वो 2 रूपये बचाने के बारे में सोचता है।  मारवाड़ी हमेसा उन्ही Investment Plans पर focus करते है जो आने वाले लम्बे समय तक लाभदाई हो।  

4. NETWORKING- मारवाड़ी की जुबान यानि पत्थर पर गदा निशान। इनके पास funds available नहीं रहते पर फिर भी payments का commitment कर देते है।  मारवाड़ी Networking पर ज्यादा ध्यान देते है। इनका ये सोचना है "जान-पहचान  बड़सी  तो  धंधो अपने आप बड़सी" | Networking के जरिये ये अपने लिए Helping-Sources को generate करते है जिस वजह  से passive-funding में इन्हे कोई तकलीफ नहीं आती है। 

5. SECONDARY INCOME- एक मारवाड़ी हमेसा एक secondary source of income की planning जरूर करता है  ,अब चाहे वो income Interest हो, Rent हो, या  Property Appreciation जिसे वो अपनी बुढ़ापे के लिए संभल के रखता है।  मारवाड़ी सिर्फ अपने आज के बारे में ही नहीं बल्कि अपने और अपने परिवार के आने वाले  कल  के बारे में भी सोचते  है। 

6. READY FOR CHARITY- "LEARN EARN  DONATE" ये मारवाड़ी का सिद्धाँत होता है जिसे वो strictly follow करते है। भारत के Charity Fund में लगभग  62 % योगदान मारवाड़ी का होता है। इसके अलावे ये कई संस्थाए खुद भी चलते है जिसे वो समाज सुधार से related कई सारे काम करते है। 

7. SPRITUALITY- मारवाड़ी Sprituality पर खुद से ज्यादा यक़ीन करते है। ये मानते है कि  मंदिर जाने से , धार्मिक स्थलों में जाने से मन और दिमाग दोनों शांत होता है। बचपन से ही ये अपने बच्चो को अपने संस्कृति  का ज्ञान दे देते है। 

8. READY TO ACCEPT RESPONSIBILITY-  एक मारवाड़ी कभी जिमीदारिया लेने से नहीं घबराता अब चाहे वो जिम्मेदारी उसके घर की हो, समाज की या अपने व्यापार की। हर वक्त मदत के लिए तैयार रहता  है। इसी गुण की वजाह से मारवाड़ी एक सफल Leader होता है। 

इन्ही वजहों की वजह से मारवाड़ी को सफल व्यापारी  माना जाता है। 




Thursday, March 25, 2021

42. Holi is all About बाबा श्याम की भक्ति & चंग की मस्ती

पुरे विश्व में भारत अपने त्योहारों के लिए बहुत बिख्यात है। यहाँ लोग त्योहारों को दिल से मनाते है।  आपस का खुशिया मनाते हैं, नाचते है, मानो पूरी तरह से उसी त्यौहार के रंग में रंग जाते है। 

 और उसी में से एक है होली का त्यौहार। होली की दो सबसे बड़ी खासियत है - 

पहला ये की होली, हिन्दू पंचांग के हिसाब से फागण  के महीने  में मनाया जाता है और फागण के पवित्र महीने में पूरी दुनिया बाबा श्याम के भक्तिरस में डूबी रहती है। हर कोई अपने-अपने ढंग से बाबा को रिझाने में लागे रहते है।  एक ऐसा भक्तिरस जिसकी धुन में लोग झूमने लगते है, बाबा श्याम की भक्ति  में अपने आप को पूरी तरह से  रंग लेते है। छोटे हो या बड़े,अमीर हो या  गरीब, फागण के भक्तिरस का रंग दिल और दिमाग में पूरी तरह से छाया रहता है।   जुबाह पर "जय श्री श्याम" का नारा और हाथो में लेकर निशान बाबा श्याम का, लोगो में सकरात्मक  ऊर्जाः का संचार करता  है।  पुरे  वातावरण में एक पवित्रता का अदृस्य  रंग छाया हुआ रहता है।    

    



और दूसरा, होली के एक महीने  भर पहले से ही  होली के गीतों का चंग बजना शुरू  हो जाता है। चंग की धुन में  होली के गीत जब गाये जाते है तो ऐसा लगता है जैसे किसी ने थके हुए शरीर पर ऊर्जाः का जादू कर दिया है। वो मारवाड़ी धुन में गाये जाने वाले गीत लोगो को आपस में जोड़ने का काम करती है।  गली-गली में लोग इकठा होकर चंग और ताल के साथ होली के गाने गाते है, झूमते है, नाचते है। पुरे दिन भर की थकान को भुलाकर, टेंशन से दूर होकर चंग की धुन में कहीं अपनेआप में ही खो जाते है। जिस गली में चंग बजते है, शायद ही कोई ऐसा होता होगाजो  चंग की आवाज सुनकर भी अपने आप को झूमने से रोक सकता हो। 



कोई भी त्यौहार तब तक सफल नहीं हो सकता जब तक उसे हम दिल से ना निभाये और होली उन्ही दिल से निभाने वाले त्योहारों में से एक है। 



Monday, March 15, 2021

41. Nikita !!! Memories of Friendship....


अनजान एक दूसरे से हम tuition में साथ थे 
ना कभी बाते कि, ना कभी एक दूसरे को देखा 
पर लगते एक दूसरे को हम गवार थे। 

ना जाने वो वज़ह क्या थी,  बाते करना बस  शुरू ही हुई थी,
धीरे-धीरे एक दूसरे को पहचानने लगे 
दोस्ती गहरी हमारी दिलो पर होने लगे। 

वक्त के साथ दोस्ती हमारी पक्की होती गई,
हम घंटो बाते करते, छुप छुप कर बरपेटा में मिलते,
flirt करते, घूमने जाते, छीकते -चिलाते 
और हर मुश्किल में एक दूसरे  के साथ रहते। 

कुछ दोस्तों ने हमारी दोस्ती को कुछ और ही नाम दिया था ,
Friends with benefits जैसा कुछ  भी बस सुनना आदत सा हो गया था। 
Now the best part !!!! सफाई देना जरुरी नहीं समझा हमने, 
जैसा वो सोचते है वैसा ही जताना जरुरी समझा हमने ,
और शायद यही  वो वज़ह  है एक दूसरे का साथ तोडना नहीं जोड़ना सीखा हमने। 

Baby, Darling, Janu, Sweetheart तो common सा हो गया था, 
पर उस से भी बढ़कर एक care वाली feeling हमेसा थी दिल पर। 
याद रहेगा मुझे हर वो new year ,
जब दारू पीकर तू होती पूरी तरह से भंड । 

साथ उम्र भर ज़िन्दगी का जुड़ा तेरा और मेरे यार अनुज का,
जिसकी वज़ह  indirectly मैं   बना। 
और वो धमकियों भरा call जो मिलता उस बिचारे को, 
वज़ह   बस वही थी तेरे चेहऱे  पर उदासी ना कही हो। 

नया मोड़ अब ज़िन्दगी में आने वाला है तेरे,
नये लोग होंगे, नई जगह होगी, 
मुझसे पहले अब कई अटूट रिश्ते होंगे तेरे। 

शब्द शायद कम होंगे हमारे इस अनूठे दोस्ती को जताने को ,
याद तेरी नहीं आएगी, ये  झूठी तसली नहीं दे सकता अपने मन को। 
पर एक वादा रहा, मुस्किलो में अगर याद करेगी 
तो मुझे भी पायेगी अपने साथ को। 










Sunday, February 14, 2021

40. Find the Actual ....."YOU"

कहीं खुद में तो ना खो गया तू...|
कहीं खुद में तो ना खो गया तू ...|

तू  हर सुबह आईने में अपने आप को देखता है, 
पर अपने चेहरे पर शायद गौर नहीं करता कभी । 
सच्च कहु तो तू  बस अपने बालो को ही सवारने में रह जाता है 
तू बस चेहरे पर नकाबों का लेप मलता चला जाता  है, 
उन नकाबों के पीछे तू अपने चेहरे को छिपाता है  
क्या उन नकाबों के बिच तू कहीं  खो तो नहीं जाता हैं ? 

तू हर पल किसी ओर  के लिए जिता है,
तू हर पल किसी ओर  चिंता में डूबा रहता है ,
तू हर पल किसी और खयालो में  खोया रहता है। 
तू हस्ता किसी ओर  के लिए है,
तू रोता भी शायद किसी ओर  के लिए ही है, 
मै अब तक समज ही  न पाया तू अपने लिए जीता कब है |
क्या किसी ओर के लिए तू कहीं खुद में   तो ना खो गया है ?

तेरे चेहरे पर कभी गुस्सा नज़र आता है 
तेरे चेहरे पर कभी मायूसी नज़र आती है 
तो कभी तेरे चेहरे पर उदासी नज़र आती है 
क्या तुझे याद है कब पिछली बार खुले मन से तू हँसा है 
इतने चेहरों में कहीं तेरा असली चेहरा तो खो नहीं गया है । 

हर दिन एक तेरा नया रूप सामने दिखता है,
कभी शराफत का तो कभी बेईमानी का, 
कभी भोलेपन का तो कभी हद से ज्यादा चालाकी का, 
इस भीड़ मै क्या तुझे याद है... 
रूप तेरा असली है कौन सा ?

नकाब इतने सारे चेहरे पर तूने अपने लगाए है
कौन सा उनमे तू है क्या तुझे पता है ??

एक बार ठहर कर सुबह आईने में खुद को  पहचान ले  
शायद कहीं तेरा खोया हुआ चेहरा तुझे याद आ जाये | 
शायद कहीं तेरा खोया हुआ चेहरा तुझे याद आ जाये | 























Friday, January 15, 2021

39. One Festival but Different Names

 एक ही त्यौहार है 
पर अलग अलग है नाम ,
कही मनता बिहू तो कोई मनता पोंगल 
कही मनता लोहरी तो  कही मनता संक्रांत है । 

कही खुले आसमान में उड़ता पतंग है,
तो कही जलता भेला-घर है,
कही बनता तिलकुड़ तो कही पीठा है
पर स्वाद जुड़ता दोनों का आकर दिल पर है ।

अलग भाषाएँ है और अलग है संस्कृति 
पर मतलब सबका आकर रुकता प्रकृति पर  है।